Master your emotions book summary in hindi by Thibaut Meurisse

 MASTER YOUR EMOTIONS 

book summary in hindi by


परिचय Introduction 

इंसान एक जटिल प्राणी है, और उसकी भावनाएँ उसे सबसे ज्यादा प्रभावित करती हैं। हम जीवन में जो भी निर्णय लेते हैं, जो भी कार्य करते हैं, उसके पीछे कहीं न कहीं हमारी भावनाएँ काम कर रही होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, यदि हम अपनी भावनाओं को सही तरीके से नियंत्रित कर लें तो हम अपने जीवन में बड़ी सफलता, सच्ची खुशी और आंतरिक शांति प्राप्त कर सकते हैं? यही सिखाती है "Master Your Emotions" किताब।

यह किताब हमें बताती है कि हम अपनी भावनाओं के गुलाम नहीं हैं। हम खुद तय कर सकते हैं कि कौन-सी भावना हमें प्रभावित करे और कौन-सी नहीं। बहुत बार हम गुस्सा, दुख, ईर्ष्या या चिंता के शिकार हो जाते हैं, लेकिन यह किताब सिखाती है कि इन भावनाओं से बाहर निकलकर कैसे संतुलित और सकारात्मक जीवन जिया जा सकता है। इस book summary in Hindi में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे आप अपनी भावनाओं के मालिक बन सकते हैं और कैसे यह किताब आपकी सोच को बदल सकती है।

लेखक के बारे में  About the author 


Thibaut Meurisse एक लोकप्रिय लेखक, कोच और व्यक्तिगत विकास (Personal Development) विशेषज्ञ हैं। उनका मानना है कि इंसान की सबसे बड़ी ताकत उसकी सोच और भावनाओं में होती है। उन्होंने कई वर्षों तक मनोविज्ञान, आत्म-सुधार और प्रभावशाली आदतों का गहराई से अध्ययन किया है।

Thibaut ने "Master Your Emotions" के अलावा कई अन्य प्रभावशाली किताबें लिखी हैं जो पूरी दुनिया में लाखों लोगों की जिंदगी बदल चुकी हैं। उनका लेखन सरल, व्यावहारिक और तुरंत लागू करने योग्य होता है। वे यह मानते हैं कि यदि कोई व्यक्ति अपनी भावनाओं को समझ जाए और उन पर नियंत्रण पा ले, तो वह अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जी सकता है। इस book summary in Hindi के माध्यम से हम Thibaut के सिद्धांतों और उनकी किताब के मुख्य संदेशों को विस्तार से समझेंगे।

पुस्तक का अवलोकन Book overview 


"Master Your Emotions" किताब का मूल संदेश है - आप अपनी भावनाओं के मालिक बन सकते हैं। अक्सर हम मानते हैं कि हमारी भावनाएँ अपने-आप पैदा होती हैं और हम उन्हें बदल नहीं सकते। लेकिन Thibaut Meurisse बताते हैं कि हमारी भावनाएँ हमारे विचारों, विश्वासों और दृष्टिकोण का परिणाम होती हैं। यदि हम अपने विचारों को बदल लें, तो हम अपनी भावनाओं को भी बदल सकते हैं।

इस किताब में लेखक ने बताया है कि नकारात्मक भावनाएँ जैसे गुस्सा, जलन, भय और उदासी कैसे हमारे जीवन को सीमित कर देती हैं। हम बार-बार उन्हीं नकारात्मक विचारों के चक्र में फंस जाते हैं और धीरे-धीरे हमारी सोच भी सीमित हो जाती है। लेकिन अगर हम इन भावनाओं की जड़ को पहचान लें और उन्हें तर्कसंगत ढंग से देखें, तो हम उनसे बाहर निकल सकते हैं।

Master Your Emotions यह भी बताती है कि सकारात्मक भावनाएँ सिर्फ परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करतीं, बल्कि यह हमारी सोच और दृष्टिकोण से बनती हैं। जब हम अपने जीवन में कृतज्ञता, धैर्य और आत्म-स्वीकृति को अपनाते हैं, तब हम अपने भावनात्मक अनुभव को पूरी तरह से बदल सकते हैं।

इस किताब में लेखक ने 3 मुख्य चरणों की बात की है:

1. अपनी भावनाओं को पहचानना: सबसे पहले हमें अपनी भावनाओं को गहराई से समझना होगा। क्या हम सच में दुखी हैं? या सिर्फ हमारे विचार ही हमें दुखी कर रहे हैं?


2. अपनी भावनाओं के स्रोत को खोजना: हर भावना के पीछे कोई कारण होता है – यह आपके विश्वास, पूर्व अनुभव या आपकी सोच का हिस्सा हो सकता है।


3. अपनी सोच और भावनाओं को बदलना: सही तकनीकों के जरिए हम अपने सोचने के तरीके को बदल सकते हैं और इस तरह अपने भावनात्मक अनुभव को भी सकारात्मक बना सकते हैं।



इस book summary in Hindi में हम किताब के पाँच सबसे महत्वपूर्ण अध्यायों का गहराई से विश्लेषण करेंगे और सीखेंगे कि हम अपने जीवन में इन्हें कैसे लागू कर सकते हैं।

Top 5 chapter summary 

1. भावना की जड़: आपके विचार 

इस अध्याय में लेखक बताते हैं कि हमारी हर भावना का जन्म हमारे विचारों से होता है। यदि हम किसी परिस्थिति के बारे में नकारात्मक सोचते हैं, तो वही नकारात्मक भावनाएँ पैदा होती हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई मित्र आपकी बात का तुरंत जवाब नहीं देता, तो आप सोच सकते हैं कि "वो मुझसे नाराज है।" इसी सोच से आपको चिंता और उदासी महसूस होती है।

गहराई से समझें:
लेखक बताते हैं कि हमें यह समझना चाहिए कि हमारी सोच और भावनाएँ स्वचालित नहीं होतीं। जब भी नकारात्मक भावना आए, तो रुककर खुद से सवाल करें – "क्या मेरी यह सोच सही है?" अधिकांश बार हम पाएंगे कि हमारी भावनाएँ सिर्फ हमारे गलत निष्कर्षों पर आधारित हैं। यदि हम इस सोच को बदल दें, तो हमारी भावनाएँ भी बदल जाएंगी।

2. भावनाओं का निरीक्षण करना 

Thibaut कहते हैं कि जब भी कोई भावना आती है, तो हमें तुरंत प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए। बल्कि हमें उस भावना का निरीक्षण करना चाहिए।

गहराई से समझें:
जब हम किसी भावना को ध्यानपूर्वक और बिना प्रतिक्रिया के देखते हैं, तो हम उस भावना से दूरी बना पाते हैं। उदाहरण के लिए, जब आपको गुस्सा आए तो तुरंत चिल्लाने के बजाय रुककर उस गुस्से को देखें। पूछें - "मुझे गुस्सा क्यों आ रहा है?" इस तरह भावना पर विचार करने से आप उसकी शक्ति को कम कर देते हैं और आप प्रतिक्रिया करने के बजाय समझदारी से निर्णय ले सकते हैं।

3. नकारात्मक विश्वासों को तोड़ना

हमारी कई नकारात्मक भावनाएँ हमारे पुराने, गहरे विश्वासों पर आधारित होती हैं। जैसे, "मैं पर्याप्त अच्छा नहीं हूं," या "मुझे असफल होना ही है।"

गहराई से समझें:
लेखक बताते हैं कि यदि हम इन नकारात्मक विश्वासों को पहचानकर उन्हें बदल दें, तो हमारी भावनाएँ भी खुद-ब-खुद बदल जाएंगी। इसके लिए सबसे पहले उन विश्वासों को लिखें जो आपको पीछे खींचते हैं, फिर उनके खिलाफ सकारात्मक प्रमाण ढूंढें। धीरे-धीरे आपका दिमाग नए सकारात्मक विश्वास अपनाने लगेगा और आपकी भावनाएँ भी स्वस्थ हो जाएंगी।

4. आभार की शक्ति 

जब हम अपने जीवन में जो हमारे पास है उसके लिए आभार प्रकट करते हैं, तो हम सकारात्मक भावनाओं को मजबूती देते हैं।

गहराई से समझें:
लेखक कहते हैं कि कृतज्ञता (Gratitude) भावनात्मक स्थिरता की कुंजी है। रोजाना कम से कम 3 चीजों के लिए धन्यवाद कहें। चाहे वो छोटी-छोटी चीजें हों - जैसे अच्छी नींद, स्वादिष्ट खाना या परिवार का साथ। जब आप आभार व्यक्त करते हैं, तो आप अपने मस्तिष्क को सकारात्मकता की ओर प्रशिक्षित कर रहे होते हैं। यह आदत धीरे-धीरे आपके पूरे दृष्टिकोण को बदल देती है।

5. अपनी भावनाओं को प्रबंधित करने की रणनीति

इस अध्याय में लेखक ने कुछ व्यावहारिक कदम बताए हैं जिससे आप अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं।

गहराई से समझें:

गहरी सांस लें जब भी कोई भावना आए। इससे तुरंत आपकी प्रतिक्रिया धीमी होती है।

अपने विचारों को डायरी में लिखें। यह अभ्यास आपको अपनी सोच को स्पष्ट रूप से देखने में मदद करेगा।

हर दिन एक अच्छी आदत विकसित करें, जैसे ध्यान करना या सुबह टहलना। यह आपको भावनात्मक रूप से संतुलित रखेगा।

हमेशा खुद से सवाल करें – "क्या मैं इस भावना से संचालित हो रहा हूँ या समझदारी से?"

अपने आस-पास सकारात्मक और समझदार लोगों को रखें जो आपकी भावनाओं में संतुलन लाते हैं।

(Practical Techniques from the Book)

विचारों का ऑडिट करें: हर दिन अपने नकारात्मक विचारों को पकड़ें और सकारात्मक सोच से बदलने की कोशिश करें।

गहरी सांस लेने की तकनीक: जब भी गुस्सा या चिंता महसूस हो, 4 सेकंड तक गहरी सांस लें, 4 सेकंड रोकें, फिर 4 सेकंड में छोड़ें।

डायरी लेखन: दिन में 5 मिनट अपने भावनाओं और विचारों को लिखें ताकि आप उन्हें साफ़ देख सकें।

कृतज्ञता की आदत: हर रात सोने से पहले 3 चीजों के लिए धन्यवाद करें।

स्वस्थ दिनचर्या बनाएं: नियमित व्यायाम, ध्यान और संतुलित आहार आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाते हैं।

अंतिम विचार (Final Thoughts:)

"Master Your Emotions" सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि एक मानसिक यात्रा है जो आपको सिखाती है कि कैसे आप अपने जीवन में भावनात्मक आज़ादी प्राप्त कर सकते हैं। Thibaut Meurisse ने बहुत ही सरल और व्यावहारिक तरीकों से यह समझाया है कि भावनाओं के पीछे हमारी सोच होती है, और सोच बदलते ही भावनाएँ बदल सकती हैं। यदि आप खुद को बार-बार नकारात्मकता में फंसा पाते हैं या अपनी भावनाओं से परेशान रहते हैं, तो यह किताब आपके लिए एक समाधान बन सकती है। इस book summary in Hindi से आप यह जान गए होंगे कि भावनाओं का मालिक आप खुद हैं, और जब आप यह जिम्मेदारी ले लेते हैं, तो आपकी पूरी जिंदगी बदल सकती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

"Master Your Emotions" एक ऐसी किताब है जो हर व्यक्ति को पढ़नी चाहिए जो खुद को बेहतर बनाना चाहता है। यह किताब हमें सिखाती है कि हम परिस्थितियों के गुलाम नहीं हैं। हम अपनी सोच, अपने दृष्टिकोण और अपने व्यवहार को बदलकर अपने जीवन का नियंत्रण खुद ले सकते हैं। इस book summary in Hindi के माध्यम से आपने जाना कि कैसे हमारी सोच भावनाओं को जन्म देती है, और कैसे हम सही तकनीकों से उन्हें नियंत्रित कर सकते हैं।

अगर आप भावनाओं से जूझ रहे हैं, तो इस किताब के सरल अभ्यास और विचारधाराएँ आपके लिए बेहद मददगार साबित होंगी। आपको सिर्फ इतना करना है – अपनी भावनाओं का निरीक्षण करें, उनके स्रोत को पहचानें, और सकारात्मक आदतें अपनाएं। यकीन मानिए, जब आप अपनी भावनाओं के स्वामी बन जाते हैं, तो आप अपने जीवन के भी असली मालिक बन जाते हैं।

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